वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 17 अक्टूबर। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 मसूद अहमद के निर्देषानुसार प्रदेश महासचिव रजनीकांत मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल जनपद बाराबंकी की पीडि़ता के परिजनों से मिलकर दुख साझा करने सेठ पिपरी गांव गया। महासचिव के साथ विषेष रूप से जनपद बाराबंकी के रालोद के अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सियाराम रावत, अमित सिंह, लवकुष यादव, अजय कुमार जायसवाल आदि भी थे।
श्री मिश्र ने बताया कि पीडि़ता के परिजन पुलिसिया छत्रछाया में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और कुछ भी बोलने अथवा स्पष्ट कहने से डर रहे हैं। यहां तक कि पीडि़ता के माता पिता को गांव से हटा दिया गया है ताकि वे किसी से भी घटना के बारे में स्पष्ट रूप से विवरण न दे सके। स्थिति देखकर यह स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार अपने पुलिस तंत्र को पीडि़त पक्ष पर हावी रखना चाहती है जैसा कि स्थानीय पुलिस ने रेप की घटना को प्रारम्भ से ही छिपाने की कोषिष की थी। पोस्टमार्टम करने वाले डाॅक्टरों के पैनल को धन्यवाद देना चाहिए कि उनकी रिपोर्ट से केवल रेप की घटना ही उजागर ही नहीं हुयी बल्कि घटना का वीभत्स रूप पुनः हाथरस की याद दिलाता चला गया।
रालोद महासचिव ने सेठ पिपरी गांव के गरीबांे की दुर्दशा देखकर प्रदेश सरकार और स्थानीय सांसद की अकर्मण्यता बताते हुये कहा कि गरीबों के गंाव तक जाने के रास्ते तक ठीक नहीं है और भाजपा के लोग विकास का झूठा सपना अब भी दिखाने में मस्त हैं। उन्होंने बाराबंकी जनपद की इस घटना की न्याययिक जांच कराने की मांग की है।
आरएलडी महासचिव पीडि़ता के परिजनों से मिलने सेठ पिपरी गांव गए