वेबवार्ता(न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 16 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। प्रदेश सरकार ने दशकों से गरीबी और विपन्नता का सामना कर रहे राज्य के किसानों को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रदेष के 86 लाख किसानों के 36 हजार करोड़ रुपए की धनराषि का ऋणमोचन किया गया। ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के माध्यम से 02 करोड़ से अधिक किसानों को सीधे आर्थिक सहायता पहुंचाई गयी है। प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को व्यवस्थित रूप से लागू किया गया। राज्य सरकार के इन प्रयासों में केन्द्र सरकार का निरन्तर भरपूर सहयोग मिल रहा है।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सी0आई0आई0) द्वारा वर्चुअल प्लेटफार्म पर आयोजित ‘एग्रो एण्ड फूड टेक-2020’ को सम्बोधित कर रहे थे। यह आयोजन इण्डिया इन्टरनेशनल फूड एण्ड एग्री वीक-2020 (16-22 अक्टूबर, 2020) के अवसर पर आयोजित किया गया। उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय उद्योग परिसंघ के इस आयोजन से प्रदेष के किसानों और कृषि क्षेत्र को नई ऊर्जा प्राप्त होगी। साथ ही, इसमें प्रतिभाग कर रहे उद्यमी प्रदेष में कृषि क्षेत्र की अपार सम्भावनाओं को देखते हुये विभिन्न फसलों, सब्जियों, फलों, दुग्ध एवं अन्य क्षेत्रों में उत्पादन एवं प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए प्रेरित होंगे। कोविड-19 के बावजूद सी0आई0आई0 द्वारा वर्चुअल प्लेटफार्म पर आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के समय जब अन्य सेक्टरों के विकास की गति मंद रही, कृषि सेक्टर ने अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की। उन्होंने कहा कि देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि है। खाद्यान्न, सब्जी, चीनी एवं दुग्ध उत्पादन में राज्य, देश में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इस काल खण्ड में सी0आई0आई0 द्वारा यह आयोजन कृषि क्षेत्र की प्रासंगिकता और सम्भावनाएं दर्शाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्च, 2020 में कोविड-19 ने भारत में दस्तक दी। इस महामारी से बचाव व समय पर रोकथाम के लिए प्रधानमंत्री जी द्वारा 25 मार्च, 2020 लाॅकडाउन की घोषणा की गयी। इस समय रबी की फसलें तैयार थी। राज्य सरकार ने गाइडलाइन्स का पालन करते हुए गेहूं सहित रबी की फसलों की कटाई-मड़ाई के लिए आवश्यक साधन-संसाधन किसानों को उपलब्ध कराये, जिससे फसलों के समय से निष्पादन में उन्हें कोई समस्या न हो और उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा रबी में उत्पादित फसलों की खरीद के लिए 06 हजार क्रय केन्द्र स्थापित किये गए, जिनसे 35.78 लाख टन गेहूँ तथा 38,717 मी0 टन चने की खरीद की गयी। राज्य सरकार द्वारा व्यापक रूप से क्रय केन्द्र बनाये जाने के कारण किसानों को बाजार मेें भी लाभदायक मूल्य प्राप्त हुआ। इसके साथ ही, लाॅकडाउन के दौरान सभी 119 चीनी मिलों का सुचारू संचालन कराया गया। किसी भी चीनी मिल अथवा क्रय केन्द्र में संक्रमण की स्थिति नहीं उत्पन्न हुई, क्योंकि कोविड-19 के सम्बन्ध में गाइडलाइन्स का समुचित अनुपालन कराया गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खरीफ की उपज के लिए 04 हजार क्रय केन्द्र स्थापित किये गये हैं। इन केन्द्रों पर निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीददारी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कृषि निर्यात को प्रोत्साहन देने की पहल की है। उत्तर प्रदेश मण्डी अधिनियम में संशोधन करने वाला अग्रणी राज्य है। प्रदेश में लगभग 92 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त कृषक हैं, जिनकी जोते छोटी-छोटी है। इन किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए इन्हें संगठित करना आवश्यक है। भारत सरकार द्वारा देश में 10,000 एफ0पी0ओ0 के गठन एवं प्रोत्साहन के लिए जारी योजना के क्रम में प्रदेश सरकार द्वारा भी अपनी एफ0पी0ओ0 सम्बन्धी नीति जारी कर दी गई है। प्रथम चरण में प्रदेष के प्रत्येक विकास खण्ड में एक-एक एफ0पी0ओ0 के गठन की कार्यवाही शुरू की गयी है। इस व्यवस्था के माध्यम से संगठित एवं अधिक उत्पादन होने से उद्यमियों और प्रसंस्करणकर्ताओं को अपनी आवष्यकतानुसार कच्चे माल की सहज उपलब्धता हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपने उत्पादों को सुविधानुसार लाभकारी मूल्य पर विक्रय कर सकें, इस उद्देश्य के साथ 45 कृषि उत्पादों को मण्डी शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। इससे किसानों को स्वेच्छानुसार उनकेे उत्पादों के विक्रय का अवसर मिला है, जो उनकी आय में वृद्धि में उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा घोषित 01 लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड के सम्बन्ध में प्रदेश सरकार द्वारा कार्यवाही की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की फसलों के सुरक्षित भण्डारण हेतु सहकारिता विभाग द्वारा आगामी 04 वर्षों में न्याय पंचायत स्तर पर 100 मी0 टन से लेकर 5,000 मी0 टन क्षमता तक के 5,380 गोदामों के निर्माण हेतु 2,600 करोड़ रुपए की योजना तैयार की गयी है। इससे 8,50,000 मी0 टन फसल का सुरक्षित भण्डारण हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की 27 मण्डियों को आधुनिक किसान मण्डी के रूप में विकसित किया जा रहा है। 24 मण्डियों में फल-सब्जियों के सुरक्षित भण्डारण के लिए कोल्ड स्टोरेज और राइपनिंग चैम्बर्स की सुविधाओं का भी निर्माण किया जा रहा है। राज्य में पहले से उपलब्ध जनपद लखनऊ व सहारनपुर के 02 मैंगो पैक हाउस के अतिरिक्त, जनपद अमरोहा और वाराणसी मे अन्य 02 मैंगो पैक हाउस का निर्माण कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें कृषि पर आधारित उत्पादों पर विशेष बल दिया जा रहा है, जिससे किसानों को सीधे लाभ प्राप्त हो सके। इसी क्रम में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अन्तर्गत 05 वर्षों की अवधि में 37,805 उद्यमों के उन्नयन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसका बेसलाइन सर्वे और ओ0डी0ओ0पी0 का चिन्हांकन पूर्ण कर लिया गया है तथा मंत्रिपरिषद द्वारा इस योजना को अंगीकृत भी कर लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 11 जनपद ‘काला नमक’ चावल के लिये जी0आई0 सूची में दर्ज किये गये हैं। इससे बासमती के साथ-साथ ‘काला नमक’ चावल के क्षेत्र में भी प्रदेश अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर सकेगा। यह उपलब्धि विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी कारगर सिद्व होगी। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली, कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या, कृषि विज्ञान केन्द्र गोरखपुर, कृषि विज्ञान केन्द्र सिद्धार्थनगर तथा कृषि विज्ञान केन्द्र देवरिया का एक मेगा प्रोजेक्ट नेटवर्किंग मोड पर स्वीकृत किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र के लाइसेंसधारी शीतगृह, जिनकी भण्डारण क्षमता 4,000 मी0 टन से कम न हो और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, जिनकी क्षमता 10 टन प्रतिदिन से अधिक प्रसंस्करण करने की है, ऐसे सभी शीतगृहों व खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को मण्डी उपस्थल घोषित किया गया है। मण्डी उपस्थल को सरकार द्वारा इस वित्तीय वर्ष के लिए शुल्क और बैंक गारण्टी से मुक्त कर दिया गया है। वाराणसी व आस-पास के क्षेत्रों में किसानों द्वारा उगाई गई सब्जियों के निर्यात की बहुत सम्भावनाएं हैं। गत वर्ष यहां से अरब देषों को सब्जियों का निर्यात शुरू किया गया है। सरकार द्वारा गठित किये जा रहे कृषक उत्पादक संगठनों द्वारा संगठित रूप से अधिक मात्रा में सब्जियों का उत्पादन होने से इनके निर्यात की सम्भावनाएं और विकसित होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में जारी कृषक हितकारी अधिनियमों के माध्यम से किसानों को अपने उत्पादों के कहीं भी विपणन तथा उनके भण्डारण की स्वतन्त्रता दी गयी है। इसके अतिरिक्त, किसान या किसानों के समूह अपने उत्पादन और लाभकारी विपणन के लिए उद्यमियों से करार कर सकते हैं। इससे निष्चित तौर पर कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उद्यमिता की सम्भावनाएं विकसित होंगी। इससे प्रदेष के किसानों के साथ ही, उद्योग जगत को भी अभूतपूर्व लाभ होगा।
कार्यक्रम को एग्री एण्ड फूड टेक-2020 के चेयरमैन अजय श्रीराम, सी0आई0आई0 के महानिदेशक श्री चन्द्रजीत बनर्जी ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव उद्यान मनोज सिंह, सचिव मुख्यमंत्री आलोक कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता