वेब वार्ता (न्यूज़ एजेंसी)/अजय कुमार वर्मा
लखनऊ 12 नवंबर। अल्पसंख्यक कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर न्यायपालिका की अवमानना का आरोप लगाते हुए कहा है कि एनआरसी विरोधी आंदोलन में शामिल लोगों की संपत्ति की कुर्की के आदेश पर कोर्ट द्वारा स्टे होने के वावजूद लखनऊ प्रशासन लोगों के घरों पर नोटिस चस्पा कर रहा है।
अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने जारी बयान में लखनऊ के अब्दुल तौफीक का मामला उठाते हुए कहा कि इनको हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति श्रीमती सरोज यादव ने 14 अक्टूबर को ही कुर्की की कार्यवाई के खिलाफ स्टे दे दिया था। अब्दुल तौफीक ने 16 जून को तहसीलदार सदर के कुर्की आदेश की वैधता को चुनौती दी थी। जिस पर दो सदस्यीय बेंच से सरकारी वकील ने अपना पक्ष रखने के लिए 4 हफ्ते के मोहलत की गुहार की थी। जिसे अदालत ने मान लिया था और अगली तारीख से पहले तक किसी तरह की वसूली पर रोक लगा दी थी। इस मामले में अभी तक कोई तारीख नहीं मिली है। शाहनवाज आलम ने कहा कि एक तरफ तो अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनते ही अपने ऊपर लगे आपराधिक मुकदमों को हटा देते हैं साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर दूर्गा पूजा की फर्जी रसीद छपवाकर चन्दा इकट्ठा करने जैसे लगे मुकदमें को श्जनहितश् में हटा दिया जाता है। लेकिन अदालत से जवाब दाखिल करने की मोहलत ले कर भी सरकर जवाब तो दाखिल नहीं करती बल्कि उल्टे कोर्ट का अवमानना करते हुए बेगुनाहों से वसूली करने पहुँच जा रही है।
शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया है कि ऐसा सिर्फ लखनऊ में ही नहीं हो रहा है बल्कि हर मोर्चे पर विफल और साम्प्रदायिक कुंठा से बुरी तरह पीड़ित मुख्यमंत्री के शह पर पूरे प्रदेश में ऐसा किया जा रहा है। जिसका मकसद संविधान विरोधी एनआरसी के खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाना और इसके बहाने पुलिस को अवैध वसूली का अवसर देना है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का विधि विभाग कोर्ट की अवमानना में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ न्यायोचित कार्यवाई के लिए अदालत जाएगा।
अल्पसंख्यक कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर न्यायपालिका की अवमानना का आरोप लगाया